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'8वीं क्लास में बंदूक उठाने का विचार आया, लेकिन..': पुलवामा उम्मीदवार तलत मजीद अली की रोचक कहानी

Jammu-Kashmir Elections 2024: पुलवामा विधानसभा सीट पर जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्य तलत मजीद अली के चुनावी रण में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है। जम्मू-कश्मीर की चर्चित पुलवामा विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल था

Akhileshअपडेटेड Sep 18, 2024 पर 5:45 PM
'8वीं क्लास में बंदूक उठाने का विचार आया, लेकिन..': पुलवामा उम्मीदवार तलत मजीद अली की रोचक कहानी
Jammu-Kashmir Elections 2024: तलत मजीद पुलवामा निर्वाचन क्षेत्र से एक स्वतंत्र उम्मीदवार हैं

Jammu-Kashmir Elections 2024: जम्मू-कश्मीर की चर्चित पुलवामा विधानसभा सीट पर जमात-ए-इस्लामी (JEI) के पूर्व सदस्य तलत मजीद अली के चुनावी रण में उतरने से मुकाबला और भी रोचक हो गया है। तीन बार के विधायक मोहम्मद खलील बंध और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की युवा इकाई के अध्यक्ष वहीद पारा उन 12 उम्मीदवारों में शामिल हैं, जो इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं। बता दें कि पुलवामा विधानसभा क्षेत्र किसी जमाने में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में शामिल था।

स्वतंत्र उम्मीदवार तलत मजीद अली (Talat Majid Alie) ने कहा है कि जब वह 8वीं कक्षा में थे, तब उन्होंने आतंकवाद में शामिल होने के बारे में सोचा था। लेकिन अंततः उन्हें एहसास हुआ कि हिंसा कोई समाधान नहीं है। मजीद एक स्वतंत्र उम्मीदवार हैं जो पुलवामा से जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें प्रतिबंधित धार्मिक-राजनीतिक संगठन जमात-ए-इस्लामी का समर्थन प्राप्त है।

जम्मू-कश्मीर में मतदान के पहले चरण से पहले न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए मजीद ने उस समय को याद किया जब घाटी में आतंकवाद अपने चरम पर था। उन्होंने कहा, "आतंकवाद में कोई खास संगठन या संप्रदाय शामिल नहीं था। हर कोई इसमें शामिल था। मैं 8वीं कक्षा में था जब मैंने बंदूक उठाने के बारे में सोचा... 2008 में मैंने राजनीति को समझना शुरू किया... मुझे एहसास हुआ कि बंदूक हमारे मुद्दों का समाधान नहीं है।"

जब उनसे पूछा गया कि उन्हें बंदूक या पत्थर उठाने के लिए क्या प्रेरित किया, तो उन्होंने कहा, "एक भी घटना नहीं हुई... समाज में ऐसे दौर आते हैं जब ये चीजें होती हैं... लेकिन धीरे-धीरे हालात लोगों को सिखा देते हैं।" माजिद ने माना कि हाल के वर्षों में घाटी में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह आर्टिकल 370 के निरस्त होने के कारण नहीं है।

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