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MP Election 2023: अधिकतर ओपिनियन पोल में क्यों कांग्रेस को बताया जा रहा BJP से आगे? 5 पॉइंट्स में समझें

Madhya Pradesh Election 2023: अधिकतर ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बीजेपी से थोड़ा आगे बताया जा रहा है या फिर दोनों में एकदम कांटे की टक्कर बताई जा रही है। हाल ही में आए ETG ओपिनियम पोल में कांग्रेस को राज्य कुल 230 सीटों में से 118-128 सीटें, वहीं बीजेपी को 102-110 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। सी-वोटर के सर्वे में भी कांग्रेस को 108 से 120 सीटें और बीजेपी को 106 से 118 सीटें जीते मिलने का अनुमान लगाया गया

Vikrant singhअपडेटेड Oct 06, 2023 पर 6:29 PM
MP Election 2023: अधिकतर ओपिनियन पोल में क्यों कांग्रेस को बताया जा रहा BJP से आगे? 5 पॉइंट्स में समझें
MP Polls 2023: कांग्रेस ने कर्नाटक और हिमाचल की तरह ही स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने की नीत अपनाई है

Madhya Pradesh Election 2023: चुनाव आयोग मध्य प्रदेश सहित 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के आकलन में आखिरी चरण में है। आयोग किसी भी वक्त चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। मध्य प्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष में बैठी कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में हारी हुई उन सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, जहां उसे कड़ी टक्कर की उम्मीद है। यहां तक कि बीजेपी ने अपने कई सूरमाओं को भी चुनाव में उतार दिए हैं, जिसमें 3 केंद्रीय मंत्री, सात सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव तक शामिल हैं। हालांकि इस सबके बावजूद मध्य प्रदेश को लेकर आए कई ओपनियन पोल ने बीजेपी की धड़कनें तेज कर दी हैं।

अभी तक आए अधिकतर ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बीजेपी से थोड़ा आगे बताया जा रहा है या फिर दोनों में एकदम कांटे की टक्कर बताई जा रही है, जहां कोई भी जीतकर सरकार बना सकता है। हाल ही में आए ETG ओपिनियम पोल में कांग्रेस को राज्य कुल 230 सीटों में से 118-128 सीटें, वहीं बीजेपी को 102-110 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था। सी-वोटर के सर्वे में भी कांग्रेस को 108 से 120 सीटें और बीजेपी को 106 से 118 सीटें जीते मिलने का अनुमान लगाया गया। इन ओपिनियन पोल को देखने पर कम से कम 5 ऐसे कारण पीछे दिख रहे हैं, जो कांग्रेस को सत्ता का मजबूत दावेदार बना रही है-

1. सत्ता विरोधी लहर

2018 में कुछ समय के लिए बनी कांग्रेस की सरकार को छोड़ दें, तो बीजेपी 2003 से ही मध्य प्रदेश की सत्ता पर लगातार काबिज है। इसमें भी अधिकतर समय शिवराज सिंह चौहान ही पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री रहे हैं। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण बीजेपी को इस चुनाव में अधिक सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा रहा है। 2018 के चुनाव में जनादेश बीजेपी के पक्ष में नहीं था। पार्टी को दोबारा सरकार में लाने का श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया को जाता है, जो कांग्रेस छोड़कर अपने समर्थक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस इसे अपने साथ हुआ धोखा बताती है और वह पहले से कहीं अधिक नैतिक ताकत के साथ चुनावी मैदान में है। ऐसे में सत्ता विरोधी लहर के साथ सिंपैथी वोट भी कांग्रेस को मजबूत कर रहा है।

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