किसी कंपनी के IPO के तहत ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिये होने वाले शेयरों की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स को लेकर जारी भ्रम बजट में दूर कर दिया गया है, बशर्ते ये शेयर 31 जनवरी 2018 से पहले खरीदे गए हों।
किसी कंपनी के IPO के तहत ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिये होने वाले शेयरों की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स को लेकर जारी भ्रम बजट में दूर कर दिया गया है, बशर्ते ये शेयर 31 जनवरी 2018 से पहले खरीदे गए हों।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह स्पष्टीकरण पिछली तारीख यानी 1 अप्रैल 2018 को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया है। IPO के दौरान बेचे गए शेयरों की बिक्री के लिए बजट में परचेज कॉस्ट से जुड़ा फॉर्मूला पेश किया गया है। यह कॉस्ट 31 जनवरी 2018 के इंडेक्सेशन से जुड़ी होगी।
इस एडजस्टमेंट का असर इनवेस्टर्स, प्रमोटर्स और फाउंडर्स पर देखने को मिलेगा, जिन्हें बिक्री से अनुमानित रिटर्न का फिर से आकलन करना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि IPOs के दौरान कैपिटल गेन्स टैक्स के शुरुआती एसेसमेंट में होने वाली समस्याओं को बजट में दूर कर लिया गया है। ये शेयर पहले न तो लिस्टेड और न ही अनलिस्टेड कैटगरी में सही बैठते थे, लिहाजा इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइंस की जरूरत थी।
बजट में पेश किए गए नए फॉर्मूले में इंडेक्सेशन बेनिफिट को 31 जनवरी 2018 तक बढ़ाया गया है और इसमें शेयरों के खरीद मूल्य के आधार पर फेयर वैल्यू तय की गई है, जिससे सेलर पर लगने वाला कैपिटल गेन्स टैक्स बढ़ सकता है। ऐसे में अगर प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल फंड लिस्टिंग के समय अपनी पोर्टफोलियो कंपनियों के शेयरों की बिक्री करते हैं, तो उनका रिटर्न भी कम हो सकता है।
अगर बिक्री वाले शेयर इंडेक्सेशन की तारीख से पहले खरीदे गए हैं, तो स्टार्टअप के फाउंडर्स और प्रमोटर्स पर इन बदलावों का प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।