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बजट 2023: निर्मला सीतारमण का बजट 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का बड़ा इम्तिहान

Budget 2023: केंद्र में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से सरकार का फोकस वित्तीय स्थिति को ठीक करने पर रहा है। इसके लिए सब्सिडी में कमी करने की कोशिश सरकार करती रही है। लेकिन, 2020 में कोरोना की महामारी की वजह से उसे सब्सिडी बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा। लेकिन, फिर से उसका जोर वित्तीय स्थिति मजबूत बनाने पर हो सकता है

Curated By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jan 30, 2023 पर 3:58 PM
बजट 2023: निर्मला सीतारमण का बजट 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का बड़ा इम्तिहान
लंबी अवधि में इंडियन इकोनॉमी की तेज ग्रोथ के लिए बेकार के खर्चों पर रोक लगाना जरूरी है। इससे सरकार के पास सड़क, बंदरगाह जैसी बुनियादी सुविधाओं पर निवेश बढ़ाने के लिए पैसे होंगे।

Budget 2023: यूनियन बजट 2023 (Union Budget 2023) पेश होने में ज्यादा समय नहीं बचा है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह केंद्र की मोदी सरकार के लिए एक बड़ा इम्तिहान होगा। 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी जीत के साथ सत्ता में लौटी मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल अगले साल खत्म होने जा रहा है। सरकार पर अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत करने का दबाव है ताकि जी 20 देशों के अध्यक्ष के रूप में वह दुनिया के सामने खुद को आर्थिक रूप से ताकतवर देश के रूप में पेश कर सके। फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट बढ़कर 9.2 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। एशिया की इस तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के लिए फिस्कल डेफिसिट में कमी करना जरूरी है। इसे अपनी क्रेडिट रेटिंग में सुधार करने की भी कोशिश करनी होगी, जो सबसे निचले इनवेस्टमेंट ग्रेड में पहुंच गई है।

बजट में नहीं होंगे लोकलुभावन प्रस्ताव

सरकार ने हाल में अपने फूड प्रोग्राम में बदलाव किया था। उसने सब्सिडी में भी कमी करने के लिए कदम उठाए हैं। इससे करीब 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। इस महीने ब्लूमबर्ग के एक सर्वे से पता चला था कि यूनियन बजट 2023 में लोकलुभावन प्रस्ताव शामिल नहीं होंगे। सर्वे में शामिल 20 इकोनॉमिस्ट्स की राय थी कि सरकार इसकी जगह मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और नौकरियों के मौके बढ़ाने पर फोकस करेगी।

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