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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों ने बदली है इकोनॉमी की तस्वीर, कई नए मोर्चों पर भी दिखेगी बेहतरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को ग्रोथ के लिए नए रास्ते पर जोर दिया, जो आत्मनिर्भरता पर आधारित है। इसमें ग्रोथ बढ़ाने, टैक्स के नियमों को आसान बनाने, आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने और बाधाओं को तोड़ इंडिया को एक ऐसा बड़ा मार्केट बनाने का प्लान है, जो बाहरी मदद और स्थितियों पर काफी कम निर्भर होगा

Gaurav Chowdhryअपडेटेड Sep 16, 2025 पर 7:38 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों ने बदली है इकोनॉमी की तस्वीर, कई नए मोर्चों पर भी दिखेगी बेहतरी
एक दशक पहले जिन बाजारों में खरीदने और बेचने का माध्यम रुपया होता था आज उनमें स्मार्टफोन के जरिए पेमेंट हो रहा है।

ज्यादातर एक्सपर्ट्स की इस बारे में आम राय है कि इंडिया इकोनॉमी के लिहाज से बड़े छलांग लगाने को तैयार है। देश की आबादी में युवाओं की ज्यादा हिस्सेदारी है, टेक्नोलॉजी में बढ़त और आंत्रप्रेन्योरशिप में लोगों की दिलचस्पी भारत को वैश्विक मंच पर बड़ी ताकत बनाते हैं। 2013 में मॉर्गन स्टेनली के एक फाइनेंशियल एनालिस्ट ने उन उभरते देशों को एक नया नाम दिया था, जो अपनी ग्रोथ के लिए विदेशी निवेश पर काफी ज्यादा निर्भर रहे हैं। उन्होंने इन देशों को 'फ्रैजल फाइव' कहा था। इनमें तुर्किए, ब्राजील, भारत, साऊथ अफ्रीक और इंडोनेशिया शामिल थे।

10 साल बाद इंडिया दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। यह सैकड़ों सालों तक भारत पर राज करने वाले इंग्लैंड से आगे निकल चुका है। इस साल 30 जुलाई को अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया। बाद में इसे और 25 फीसदी बढ़ा दिया। उन्होंने इंडिया को 'डेड इकोनॉमी' तक कहा। 25 दिन पहले 15 जून, 2025 को इंडिया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनी थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को ग्रोथ के लिए नए रास्ते पर जोर दिया, जो आत्मनिर्भरता पर आधारित है। इसमें ग्रोथ बढ़ाने, टैक्स के नियमों को आसान बनाने, आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने और बाधाओं को तोड़ इंडिया का एक ऐसा बड़ा मार्केट बनाने का प्लान है, जो बाहरी मदद और स्थितियों पर काफी कम निर्भर होगा। 2028 तक अमेरिका अपने नए राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी शुरू कर देगा। तब ट्रंप को अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हो रहे होंगे और इंडिया दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनेगा।

एक दशक पहले जिन बाजारों में खरीदने और बेचने का माध्यम रुपया होता था आज उनमें स्मार्टफोन के जरिए पेमेंट हो रहा है। आज यूपीआई भारतीयों के लिए पेमेंट का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। इस बदलाव के पीछे 'डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर' (DPI) का बड़ा हाथ है। आधार, डिजीलॉकर और eKYC (इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर) की बदौलत यह मुमकिन हुआ है। दूसरे देशों से अलग जहां डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बंटा हुआ है या इसमें प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा हिस्सेदारी है, इंडिया में यह सब सरकार की पहल का नतीजा है। अगस्त 2025 में यूपीआई के जरिए कुल 24.85 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन हुए। मंथली वॉल्यूम 20 अरब पार कर गया है।

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