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SBI के रिसर्चर्स पर लगा RBI के विशेषज्ञों की रिपोर्ट हूबहू कॉपी करने का आरोप, सोशल मीडिया पर हुई बहस

आरोप है कि SBI रिसर्च की इकोरैप रिपोर्ट्स में RBI के इकोनॉमिस्ट्स की फाइंडिंग्स को हूबहू कॉपी किया गया है। यहां तक कि ग्राफ और चार्ट सहित। साथ ही कोई क्रेडिट भी नहीं दिया गया है। लेकिन SBI की ओर से सभी आरोपों को खारिज किया गया है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Oct 25, 2025 पर 4:31 PM
SBI के रिसर्चर्स पर लगा RBI के विशेषज्ञों की रिपोर्ट हूबहू कॉपी करने का आरोप, सोशल मीडिया पर हुई बहस
RBI के सार्थक गुलाटी और SBI से डॉ. तपस परिदा ने लिंक्डइन पर पोस्ट डाली हैं।

सोशल मीडिया पर बहसबाजी, आरोप-प्रत्यारोप आम हो चुके हैं। लेकिन जब मसला देश के दो प्रमुख वित्तीय संस्थानों का हो, तो बात बड़ी हो जाती है। ताजा वाकया है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीच का। दरअसल RBI की मौद्रिक नीति शाखा के एक सदस्य ने SBI के अर्थशास्त्रियों पर प्लैजरिज्म का आरोप लगाया है। प्लैजरिज्म का मतलब है- साहित्यिक चोरी यानि कि किसी और के काम, लेख, रिसर्च, रचना या विचारों को अपने नाम से पेश करना।

SBI के विशेषज्ञों की टीम पर आरोप है कि उन्होंने RBI के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट से निष्कर्षों की नकल की है। RBI के सार्थक गुलाटी ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट डाली है। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे SBI की टीम ने सभी महत्वपूर्ण डेटा को ग्राफ और चार्ट सहित कॉपी कर लिया।

क्या कहना है गुलाटी का

RBI में असिस्टेंट जनरल मैनेजर गुलाटी का कहना है, "फाइनेंशियल और इकोनॉमिक रिसर्च कम्युनिटी के प्रोफेशनल्स होने के नाते, हम अपने एनालिसिस में मौलिकता (originality), श्रेय (attribution) और ईमानदारी (integrity) पर निर्भर करते हैं। इसी कारण यह गंभीर चिंता की बात है कि हाल की SBI Ecowrap रिपोर्ट्स में RBI की मॉनेटरी पॉलिसी रिपोर्ट्स के अंशों की हूबहू नकल दिखाई दे रही है, कोई श्रेय/क्रेडिट भी नहीं दिया गया है।'

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