इन दिनों महिलाओं में यूरिक एसिड की समस्या तेजी से उभर रही है, जो पहले पुरुषों में अधिक देखी जाती थी। ये एक गंभीर लाइफस्टाइल डिसऑर्डर बन चुका है, जिसकी जड़ें हमारी बदलती जीवनशैली, असंतुलित खानपान और शारीरिक निष्क्रियता में छुपी हैं। खास बात ये है कि महिलाओं में हार्मोनल बदलाव, जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था और मेनोपॉज, यूरिक एसिड के स्तर को गहराई से प्रभावित करते हैं। साथ ही कमजोर पाचन तंत्र और धीमा मेटाबोलिज्म भी शरीर में प्यूरिन को सही ढंग से ब्रेक नहीं कर पाता, जिससे यूरिक एसिड जमने लगता है।