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'लोग काम नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें फ्री में राशन और पैसे मिल रहे हैं': सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियों पर जताई नाराजगी, केंद्र को दिए ये निर्देश

Freebies Culture: बुधवार (12 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए चुनाव से पहले मुफ्त उपहारों की घोषणा करने की प्रथा की तीखी आलोचना की। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग काम करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त राशन और पैसे मिल रहे हैं

Akhileshअपडेटेड Feb 12, 2025 पर 2:44 PM
'लोग काम नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें फ्री में राशन और पैसे मिल रहे हैं': सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियों पर जताई नाराजगी, केंद्र को दिए ये निर्देश
Freebies Culture: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्रीबीज यानी मुफ्त की रेवड़ियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस कारण लोग काम करने को इच्छुक नहीं हैं

Freebies Culture: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले मुफ्त चीजों की घोषणा करने की प्रथा की निंदा की है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों से पहले मुफ्त में चीजें देने की घोषणाओं की आलोचना करते हुए बुधवार (12 फरवरी) को कहा कि लोग काम करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि उन्हें मुफ्त में राशन और पैसे मिल रहे हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शहरी क्षेत्रों में बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान ये बड़ी टिप्पणियां कीं।

पीटीआई के मुताबिक जस्टिस गवई ने कहा, "दुर्भाग्यवश, मुफ्त की इन सुविधाओं के कारण... लोग काम करने को तैयार नहीं हैं। उन्हें मुफ्त राशन मिल रहा है। उन्हें बिना कोई काम किए ही धनराशि मिल रही है।" अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इसके तहत शहरी क्षेत्रों में बेघरों के लिए रहने की व्यवस्था समेत विभिन्न मुद्दों का समाधान किया जाएगा।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल को केंद्र सरकार से यह पूछने का निर्देश दिया कि शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन कितने समय में लागू किया जाएगा। सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण और याचिकाकर्ता ई.आर. कुमार ने दलील दी कि सरकार ने पिछले कुछ सालों में शहरी आश्रय योजना के लिए धन देना बंद कर दिया है।

नतीजतन, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कह रहे हैं कि उनके पास पैसे नहीं है और वे आश्रय प्रदान नहीं कर सकते। यानी बेघर लोग सड़कों पर तड़प रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को उजागर करते हुए उन्होंने बताया कि इस सर्दी में ठंड के कारण 750 से अधिक बेघर लोगों की मौत हो गई। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है।

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