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Pune Lok Sabha election 2024: दोपहर 3 बजे तक 33.07% वोटिंग, BJP और कांग्रेस में दिख रही सीधी टक्कर

Pune Lok Sabha Chunav 2024: पुणे सीट पर साल 2014 और 2019 में बीजेपी उम्मीदवारों की जीत हुई थी। ऐसे में पार्टी तीसरी बार इस सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश में है। पुणे जिले के बाकी दो संसदीय क्षेत्रों की बात करें तो मावल निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना का गढ़ रहा है। शिरूर निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य मुकाबला एनसीपी (एसपी) के मौजूदा सांसद और अभिनेता अमोल कोल्हे और पूर्व सांसद शिवाजीराव अधलराव-पाटिल के बीच है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड May 13, 2024 पर 4:25 PM
Pune Lok Sabha election 2024: दोपहर 3 बजे तक 33.07% वोटिंग, BJP और कांग्रेस में दिख रही सीधी टक्कर
पुणे की लोकसभा सीट सांसद गिरीश बापट की मृत्यु के बाद 29 मार्च 2023 से खाली है।

Pune Lok Sabha election 2024: देश में 13 मई को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के तहत वोटिंग हो रही है। इसके तहत महाराष्ट्र की 11 लोकसभा सीटों पर मतदान हो रहा है, जिनमें पुणे भी शामिल है। पुणे जिले में 3 लोकसभा संसदीय क्षेत्र- पुणे, शिरूर और मावल आते हैं। पुणे की लोकसभा सीट सांसद गिरीश बापट की मृत्यु के बाद 29 मार्च 2023 से खाली है। इस पर उपचुनाव नहीं हुए। पुणे में दोपहर 3 बजे तक 33.07 प्रतिशत वोटिंग हुई। वहीं पूरे महाराष्ट्र में दोपहर 3 बजे तक 42.35% मतदान हुआ।

पुणे संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने मुरलीधर मोहोल और इंडी गठबंधन के तहत कांग्रेस ने रवींद्र धंगेकर को उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर मानी जा रही है। हालांकि एक अन्य प्रमुख उम्मीदवार वसंत मोरे भी हैं, जो वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) से चुनाव लड़ रहे हैं। चौथे चरण का मतदान शुरू होते ही पुणे से भाजपा उम्मीदवार मुरलीधर मोहोल के आवास पर प्रार्थना और आरती की गई। कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने अपनी पत्नी प्रतिभा और बेटे प्रणव के साथ पुणे के रविवार पेठ में कमला नेहरू स्कूल में मतदान केंद्र पर मतदान किया।

वोटर्स लिस्ट में से नाम गायब होने की शिकायतें

पुणे मॉक पोल में 37 बैलेट यूनिट, 13 कंट्रोल यूनिट और 17 वीवीपैट बदले गए। चुनाव के दौरान वोटर्स लिस्ट में से लोगों का नाम गायब होने की शिकायतें भी आईं। यह भी खबर है कि पुणे सिटी कांग्रेस प्रमुख अरविंद शिंदे के नाम पर किसी और ने वोट डाल दिया। जब शिंदे वोटिंग के लिए मतदान केंद्र पहुंचे और उन्हें इस बात का पता लगा तो उन्होंने आपत्ति जताई। बाद में उन्हें 'टेंडर वोट' प्रक्रिया का इस्तेमाल करके मतदान करने की अनुमति दी गई। टेंडर वोट, वह वोट है जिसे मतपत्र पर डालने की अनुमति तब दी जाती है, जब एक मतदाता को पता चलता है कि किसी ने पहले ही उसके नाम पर वोट डाल दिया है और अधिकारी सही मतदाता की पहचान से संतुष्ट हों।

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