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Bank FD vs Corporate FD: कौन है बेहतर, समझ लीजिए नफा-नुकसान का पूरा हिसाब

अगर आप शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं, तो कॉरपोरेट FD में निवेश कर सकते हैं। इसमें बैंक FD की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है। इसे कम से कम ₹5,000 के डिपॉजिट से भी शुरू किया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है जो स्थिर और अपेक्षाकृत सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं, लेकिन पारंपरिक एफडी से अधिक कमाना चाहते हैं। हालांकि, इसके साथ कुछ रिस्क भी जुड़े हैं, जिनके बारे में जानना जरूरी है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 22, 2025 पर 6:24 PM
Bank FD vs Corporate FD: कौन है बेहतर, समझ लीजिए नफा-नुकसान का पूरा हिसाब
कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) बैंक के बजाय कंपनियां करती हैं।

Bank FD vs Corporate FD: आज भी बहुत से लोग शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड के बजाय फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करना पंसद कर सकते हैं। इसकी दो बड़ी वजहें हैं। एक तो एफडी में शेयर मार्केट जैसा भारी उतार-चढ़ाव का जोखिम नहीं रहता है, दूसरे आपको स्थिर रिटर्न का लाभ मिलता है। लेकिन, बैंक एफडी के साथ दिक्कत यह होती है कि इसमें ब्याज दर कम होती है। ऐसे में अगर आप एफडी में ही निवेश करना चाहते हैं, तो कॉरपोरेट एफडी का विकल्प भी आजमा सकते हैं।

कॉरपोरेट FD क्या है?

कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) बैंक के बजाय कंपनियां करती हैं। इसमें निवेशक एक तय समय के लिए एकमुश्त रकम जमा करते हैं और उस पर ब्याज कमाते हैं। ये एफडी मुख्य रूप से नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) और अन्य कॉरपोरेट फर्म करती हैं।

कॉरपोरेट FD में निवेश क्यों करें?

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