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Navratri 2025: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलेगा ज्ञान और संयम, ऐसे करें पूजा

Navratri 2025: नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के द्वितीय स्वरूप, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। उन्हें ज्ञान और तप की देवी माना जाता है। मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे उन्हें ये स्वरूप प्राप्त हुआ। उनकी उपासना से भक्तों को धैर्य, संयम और शक्ति मिलती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Mar 31, 2025 पर 10:30 AM
Navratri 2025: दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलेगा ज्ञान और संयम, ऐसे करें पूजा
Navratri 2025: मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है, जो तप, संयम और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। उनका शांत और तेजस्वी स्वरूप भक्तों को आत्मसंयम और धैर्य का संदेश देता है। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास बढ़ता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उनका नाम 'ब्रह्मचारिणी' पड़ा। इस दिन भक्त सफेद रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत, खीर, बर्फी आदि का भोग अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि उनकी आराधना से जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त होती हैं और साधक को ज्ञान, भक्ति और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनके एक हाथ में जप माला तथा दूसरे हाथ में कमंडल रहता है। उनके इस स्वरूप का तात्पर्य है कि वे संयम, साधना और भक्ति का प्रतीक हैं।

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