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'उसे तो 20 साल पहले जिंदा जला दिया था' पुणे के येरवडा मेंटल हॉस्पिटल की वो भयानक रात, जिसने बदल दी एक पत्रकार की जिंदगी!

यह कहानी है एक पत्रकार अर्जुन की, जो इस अस्पताल की भूतिया सच्चाई जानने के लिए वहां एक रात गुजारने का फैसला करते हैं। उनकी मुलाकात अस्पताल के वार्डन मनोज से होती है। अर्जुन मनोज से कहते हैं कि मुझे किसी ऐसे मरीज से मिलवाइए जो कम बीमार हो

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 11, 2025 पर 7:23 PM
'उसे तो 20 साल पहले जिंदा जला दिया था' पुणे के येरवडा मेंटल हॉस्पिटल की वो भयानक रात, जिसने बदल दी एक पत्रकार की जिंदगी!
पुणे के येरवडा मेंटल हॉस्पिटल की वो भयानक रात, जिसने बदल दी एक पत्रकार की जिंदगी!

मेंटल हॉस्पिटल को लेकर हमेशा से ही एक अजीब-सा डर और रहस्य जुड़ा रहता है। टूटती दीवारें, सुनसान गलियारे, कभी-कभी गूंजती हुई आवाजें, और बंद दरवाजे… ये सब मिलकर वहां एक अनहोनी का अहसास कराते हैं। ऐसा लगता है जैसे वहां की दीवारें भी अनसुनी दास्तानें बयां कर रही हों। पुणे के येरवडा मेंटल हॉस्पिटल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसे सुनकर रूह कांप जाती है।

यह कहानी है एक पत्रकार अर्जुन की, जो इस अस्पताल की भूतिया सच्चाई जानने के लिए वहां एक रात गुजारने का फैसला करते हैं। उनकी मुलाकात अस्पताल के वार्डन मनोज से होती है। अर्जुन मनोज से कहते हैं कि मुझे किसी ऐसे मरीज से मिलवाइए जो कम बीमार हो। तब मनोज उन्हें माधव के बारे में बताते हैं और कहते हैं कि वह गंभीर रूप से बीमार नहीं है और कुछ ही दिनों में अस्पताल से रिहा हो जाएगा।

अर्जुन माधव के कमरे में जाते हैं और उससे येरवडा अस्पताल से जुड़ी कोई खास कहानी सुनाने को कहते हैं। मनोज की आंखों में अजीब सी चमक थी, जब वह बोला, “यहां कोई भी अपना नहीं होता। सबसे ज्यादा जो आपको अपना लगेगा, वही आपको सबसे बड़ा धोखा देगा। यहां किसी पर भरोसा मत करना। अगर तुम यहां एक रात रुकोगे, तो समझ जाओगे मैं क्या कहना चाहता हूं।”

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