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Budget 2025: सीतारमण ने टैक्स के नियमों में बदलाव किया तो म्यूचुअल फंडों में बढ़ेगी इनवेस्टर्स की दिलचस्पी

AMFI ने डेट म्यूचुअल फंडों के टैक्स नियमों में बदलाव करने की सलाह सरकार को दी है। अभी डेट म्यूचुअल फंडों को 12 महीने बाद बेचने पर उसके कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगना चाहिए। लिस्टेड बॉन्ड्स के मामले में यह नियम लागू है। अभी डेट म्यूचुअल फंडों के कैपिटल गेंस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। इस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 07, 2025 पर 10:54 AM
Budget 2025: सीतारमण ने टैक्स के नियमों में बदलाव किया तो म्यूचुअल फंडों में बढ़ेगी इनवेस्टर्स की दिलचस्पी
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में निवेशकों की दिलचस्पी ज्यादा है। बॉन्ड म्यूचुअल फंड्स में भी उन्हें निवेश के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को निर्मला सीतारमण के यूनियन बजट से काफी उम्मीदें हैं। एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एंफी ने म्यूचुअल फंड्स से जुड़े टैक्स के नियमों में बदलाव करने की सलाह सरकार को दी है। एंफी का मानना है कि अगर सरकार ने टैक्स के नियमों में बदलाव किया तो डेट और इक्विटी फंडों में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ेगी। इससे इनवेस्टर्स लॉन्ग टर्म सेविंग्स के लिए डेट और इक्विटी फंडों में निवेश करना पसंद करेंगे।

सरकार ने 2023 में टैक्स के नियमों में किया था बदलाव

AMFI का कहना है कि डेट म्यूचुअल फंडों को 12 महीने बाद बेचने पर उसके कैपिटल गेंस पर 12.5 फीसदी टैक्स लगना चाहिए। लिस्टेड बॉन्ड्स के मामले में यह नियम लागू है। अभी डेट म्यूचुअल फंडों के कैपिटल गेंस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस माना जाता है। इस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। यह नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू हो गया है। एंफी ने कहा है कि अगर इंडिया आर्थिक रूप से दुनिया में ताकतवर बनना चाहता है तो इसके लिए स्ट्रॉन्ग बॉन्ड मार्केट्स जरूरी है। साथ ही बॉन्ड्स मार्केट में रिटले इनवेस्टर्स का ज्यादा पार्टिसिपेशन जरूरी है।

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