Get App

Hindi in Maharashtra: महाराष्ट्र के स्कूलों में अब हिंदी तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य, मराठी संगठनों ने शुरू किया विरोध

Hindi in Maharashtra: महाराष्ट्र में अब हिंदी को मराठी और अंग्रेजी के बाद तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाएगा। क्लास 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। लेकिन राज्य में सामान्य रूप से हिंदी को तीसरे भाषा के रूप में बच्चों को पढ़ाया जाएगा

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Jun 18, 2025 पर 12:12 PM
Hindi in Maharashtra: महाराष्ट्र के स्कूलों में अब हिंदी तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य, मराठी संगठनों ने शुरू किया विरोध
Hindi in Maharashtra: मराठी संगठनों ने आरोप लगाया है कि सरकार गुपचुप तरीके से हिंदी को फिर से लागू कर रही है

Hindi 3rd Language in Maharashtra Schools: महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी क्लास तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश जारी किया है। नए आदेश के मुताबिक, राज्य के स्कूलों में हिंदी को मराठी और अंग्रेजी के बाद तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाएगा। इस बीच, मराठी भाषा के पक्षधरों ने आरोप लगाया है कि सरकार शुरू में इस नीति से पीछे हटने के बाद गुपचुप तरीके से इसे फिर से लागू कर रही है।

महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत 'स्कूली शिक्षा के लिए राज्य पाठ्यक्रम रूपरेखा 2024' के कार्यान्वयन के तहत यह आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के सभी छात्र अब अनिवार्य रूप से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी का अध्ययन करेंगे।

पीटीआई के मुताबिक आदेश में कहा गया है, "जो छात्र हिंदी के विकल्प के रूप में कोई अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, उनकी संख्या 20 से अधिक होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में, उस विशेष भाषा के लिए एक टीचर उपलब्ध कराया जाएगा या भाषा को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा।"

आलोचकों का दावा है कि सरकार का यह ताजा कदम स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे के पहले के बयानों के विपरीत है, जिनमें उन्होंने कहा था कि प्राथमिक एजुकेशन के लिए हिंदी अनिवार्य नहीं होगी। हालांकि सरकारी आदेश में छात्रों को हिंदी के बजाय किसी अन्य भारतीय भाषा को चुनने का सशर्त विकल्प दिया गया है। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि प्रत्येक स्कूल में कम से कम 20 छात्रों को यह विकल्प चुनना होगा।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें