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डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के एक प्रस्ताव ने Airtel और Vodafone Idea को चिंता में डाला, जानिए क्या है पूरा मामला

DoT ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को यह बताने को कहा है कि उनके इक्विपमेंट नेटवर्क में चीन की कंपनियों से खरीदे गए इक्विपमेंट की कितनी हिस्सेदारी है। डीओटी का कहना है कि चीन की कंपनियों से खरीदे गए इक्विपमेंट नेटवर्क देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। वह इनकी जगह भरोसेमंद स्रोतों से मंगाए गए इक्विपमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल करना चाहता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 20, 2024 पर 8:44 AM
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम के एक प्रस्ताव ने Airtel और Vodafone Idea को चिंता में डाला, जानिए क्या है पूरा मामला
डीओटी का यह प्रस्ताव 'रिप एंड रिप्लेस' प्रोग्राम के जैसा है, जिसे अमेरिका में लागू किया गया था।

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (डीओटी) के एक प्रस्ताव ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को चिंता में डाल दिया है। डीओटी ने टेलीकॉम कंपनियों से पूछा है कि वे 'नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज' या हुवेई और जेडटीई जैसे चीन के वेंडर्स से खरीदे गए नेटवर्क इक्विपमेंट और सॉफ्टवेयर का कितना इस्तेमाल कर रही हैं। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की दलील है कि यह पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि पिछले तीन दशकों में इन कंपनियों में कई दूसरी कंपनियों का विलय हुआ है या इन कंपनियों ने दूसरी कंपनियों का अधिग्रहण किया है। कई रिमाइंडर के बाद भी दोनों कंपनियों ने डीओटी को इस बारे में जानकारी नहीं दी है।

DoT ने इस साल की शुरुआत में ही मांगी थी जानकारी

DoT ने इस साल की शुरुआत में टेलीकॉम ऑपरेटर्स (Telecom Operators) को यह पता लगाने को कहा था कि उनके नेटवर्क इक्विपमेंट में ऐसे कितने नेटवर्क इक्विपमेंट हैं, जिन्हें 'नॉन-ट्रस्टेड सोर्सेज' यानी गैर-भरोसेमंद स्रोतों से खरीदा गया है। उन्हें इस्तेमाल हो रहे ऐसे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की डिटेल जानकारी भेजने को कहा गया था। डीओटी के इस कवायद का मकसद यह जानना है कि अगर इन इक्विपमेंट नेटवर्क को 'भरोसेमंद स्रोतों' से खरीदा जाता है तो उस पर कितना खर्च आएगा। दरअसल डीओटी देश की सुरक्षा को ध्यान में रख गैर-भरोसेमंद स्रोतों से खरीदे गए इक्विपमेंट नेटवर्क का इस्तेमाल नहीं करना चाहता है।

अमेरिकी सरकार चीन की कंपनियों के इक्विपमेंट का इस्तेमाल बंद कर चुकी है

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