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New labour codes: जोमैटो-स्विगी जैसी कंपनियां बढ़ाएंगी प्लेटफॉर्म फीस? नया लेबर कोड बन सकता है वजह

New labour codes: 21 नवंबर से लागू हुए नए लेबर कोड का सबसे बड़ा असर स्विगी-जोमैटो जैसे गिग प्लेटफॉर्म्स पर पड़ेगा। सोशल सिक्योरिटी फंड में योगदान बढ़ने से प्रति ऑर्डर लागत बढ़ेगी। ब्रोकरेज के मुताबिक, कंपनियां प्लेटफॉर्म फीस में बढ़ोतरी के जरिए ग्राहकों पर डाल सकती हैं। जानिए डिटेल।

Edited By: Suneel Kumarअपडेटेड Nov 25, 2025 पर 5:41 PM
New labour codes: जोमैटो-स्विगी जैसी कंपनियां बढ़ाएंगी प्लेटफॉर्म फीस? नया लेबर कोड बन सकता है वजह
कोटक की रिपोर्ट का कहना है कि अतिरिक्त लागत आखिर में ग्राहकों पर ही डाली जाएगी।

New labour codes: भारत में वर्षों से टल रहे लेबर कोड आखिरकार 21 नवंबर से लागू हो गए। इन नए नियमों का सबसे बड़ा असर गिग इकॉनमी प्लेटफॉर्म्स पर पड़ने वाला है। जैसे कि Swiggy और Zomato। ब्रोकरेज फर्म Kotak Institutional Equities की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियों को अब सरकार की सोशल सिक्योरिटी स्कीम के लिए अपने सालाना टर्नओवर का 1-2% योगदान देना पड़ सकता है।

इस योगदान की अधिकतम सीमा गिग वर्कर्स को किए गए कुल भुगतान के 5% तक तय की गई है। अगर यह 5% की सीमा लागू होती है, तो कोटक का अनुमान है कि फूड डिलीवरी के हर ऑर्डर पर लगभग 3.2 रुपये और क्विक कॉमर्स ऑर्डर पर लगभग 2.4 रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा।

क्या ग्राहकों पर बोझ डालेंगी कंपनियां?

कोटक की रिपोर्ट का कहना है कि यह अतिरिक्त लागत आखिर में ग्राहकों पर ही डाली जाएगी। यानी आने वाले समय में प्लेटफॉर्म फीस बढ़ सकती है या कंपनियां नए चार्ज लगा सकती हैं।

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