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Patanjali Misleading Ads Case: भ्रामक विज्ञापनों पर आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, कहा- भविष्य में नहीं होगा ऐसा

Patanjali Misleading Ads Case: सुप्रीम कोर्ट ने कई बीमारियों को स्थायी रूप से ठीक करने का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने नियमों का उल्लंघन करते हुए बाबा रामदेव की कंपनी Patanjali Ayurveda की ओर से ऐसे विज्ञापन जारी रखे जाने को लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू की है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Mar 21, 2024 पर 12:00 PM
Patanjali Misleading Ads Case: भ्रामक विज्ञापनों पर आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, कहा- भविष्य में नहीं होगा ऐसा
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

Patanjali Misleading Ads Case: पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishna) ने एक हलफनामे के जरिए सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है। यह माफी कंपनी के फॉर्मूलेशंस की क्षमताओं के बारे में भ्रामक दावों को लेकर है। ये दावे मॉर्डन मेडिसिन की प्रभावशीलता पर भी शक पैदा करते हैं। 19 मार्च को खबर आई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के को-फाउंडर बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। दोनों को, कई बीमारियों को स्थायी रूप से ठीक करने का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उनके और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ जारी अवमानना नोटिस का जवाब न देने पर स्पष्टीकरण के लिए तलब किया गया है।

हलफनामे में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आपत्तिजनक वाक्यों वाले पतजंलि आयुर्वेद के विज्ञापन पर उन्हें खेद है। हलफनामे में लिखा है कि इस बात का खेद है कि जिस विज्ञापन पर सवाल उठ रहे हैं, उसमें अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य शामिल हो गए। रिस्पॉन्डेंट (पतंजलि आयुर्वेद) की ओर से ​डेपोनेंट, 21 नवंबर 2023 के आदेश में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए कोर्ट के समक्ष अनक्वालिफाइड अपोलॉजी प्रस्तुत करता है। डेपोनेंट यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं।

पतंजलि के खिलाफ IMA ने डाली थी याचिका

अपने हलफनामे में बालकृष्ण ने यह भी कहा कि कंपनी सही थी। उन्होंने कहा कि पतंजलि के पास अब आयुर्वेद में की गई क्लीनिकल रिसर्च समेत सबूत के साथ वैज्ञानिक डेटा है, जो 1954 अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित बीमारियों के मामले में साइंटिफिक रिसर्च के माध्यम से हुई प्रगति को दर्शाएगा। सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव द्वारा बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था।

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