आज के दौर में बच्चों की जिंदगी स्मार्ट डिवाइसेज के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है। पहले जहां खाली समय में बच्चे दोस्तों संग खेलते, कहानियां सुनते या किताबों में डूबे रहते थे, वहीं अब वही समय मोबाइल, टीवी और टैबलेट की स्क्रीन के हवाले हो गया है। स्कूल और कोचिंग की व्यस्तता के बाद जो थोड़ी सी फुर्सत मिलती है, उसमें भी बच्चे डिजिटल दुनिया में ही खोए रहते हैं। लेकिन इस आदत का सबसे बड़ा खामियाजा उनकी आंखों को भुगतना पड़ रहा है। मासूम उम्र में ही अब चश्मा आम बात बन चुकी है।