कमाई को लेकर अनुमान में बदलाव का विकासशील देशों के शेयरों पर दबाव बना हुआ है और अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। इस बीच वैश्विक स्तर पर राजनीतिक तनाव बढ़ा है और 10 साल की अवधि वाले अमेरिकी बॉन्ड की वास्तविक यील्ड 2007 के पहले के लेवल पर पहुंच गई जिससे वैल्यूएशन बिगड़ गया है। वैश्विक ब्रोकरेज मॉर्गन स्टैनले (Morgan Stanley) के प्रमुख (एमर्जिंग मार्केट्स) जोनाथन गार्नर के मुताबिक इन सबके बीच अभी भी उभरते बाजारों में मॉर्गन स्टैनले की पसंद भारत बनी हुई है। मॉर्गन स्टैनले के मुताबिक भारत का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है और आगे भी बेहतर रहने के आसार हैं।