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JPMorgan के फैसले से भारतीय बॉन्ड बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी या नहीं? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

साल 2023 में अब तक 3.4 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद के साथ भारतीय बॉन्ड्स में विदेशी निवेशकों की खरीदारी सुस्त बनी हुई है। बकाया सरकारी ऋण के 2% से भी कम के लिए विदेशी निवेशक जिम्मेदार हैं। मार्च 2023 में जेपी मॉर्गन ने कहा था कि भारत के सूचकांक-योग्य, हाई यील्ड वाले सरकारी बॉन्डस को एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में जोड़ने के लिए समर्थन उसके सर्वेक्षण में 60% तक बढ़ गया है, जो पिछले वर्ष 50% था

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Sep 23, 2023 पर 8:20 AM
JPMorgan के फैसले से भारतीय बॉन्ड बाजार में अस्थिरता बढ़ेगी या नहीं? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
FTSE Russell भी अपने एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड्स को शामिल करने के लिए नजर रखे हुए है।

जेपी मॉर्गन (JPMorgan) की ओर से अपने एमर्जिंग मार्केट डेट इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड शामिल करने की घोषणा के बाद भारतीय बॉन्ड बाजारों में निकट अवधि में अस्थिरता बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी। यह बात ब्लैकरॉक के एशिया प्रशांत फिक्स्ड इनकम के हेड ने कही है। जेपी मॉर्गन ने कहा है कि 330 अरब डॉलर के संयुक्त अनुमानित मूल्य वाले 23 भारतीय सरकारी बॉन्ड (आईजीबी) इसके गवर्मेंट बॉन्ड इंडेक्स-एमर्जिंग मार्केट्स (GBI-EM) इंडेक्स और इंडेक्स सूट में शामिल होने के लिए पात्र हैं। JPMorgan Chase & Co. 28 जून, 2024 से शुरू होने वाले जेपी मॉर्गन GBI-EM में सिक्योरिटीज को एड करेगा।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लैकरॉक में चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर और APAC फंडामेंटल फिक्स्ड इनकम के प्रमुख नीरज सेठ ने उम्मीद जताई है कि GBI-EM इंडेक्स पर भारत के लिए 10% की मैक्सिसमम वेट थ्रेसहोल्ड के बाद भारत में लगभग 20-25 अरब डॉलर का निवेश आएगा। भारतीय करेंसी की मौजूदा कीमत के आधार पर यह धनराशि करीब 1662-2077 अरब डॉलर बैठती है।

मामूली ही बढ़ेगी अस्थिरता

सेठ ने रॉयटर्स ग्लोबल मार्केट्स फोरम को बताया कि 2 लाख करोड़ डॉलर के वैश्विक सरकारी बॉन्ड बाजार के आकार को देखते हुए, इस इन्क्लूजन से भारतीय बॉन्ड बाजारों में अस्थिरता थोड़ी सी ही बढ़ सकती है। हालांकि अगर फॉरेन ओनरशिप दहाई अंकों में चली गई तो अस्थिरता गहरी और दिखने वाली हो जाएगी। आगे कहा कि अनुमान है कि पोस्ट-इन्क्लूजन के बाद भारतीय सरकारी बॉन्ड्स की फॉरेन ओनरशिप बढ़कर 3.0%-3.5% हो जाएगी। इसलिए ऐसा नहीं लगता है कि यह बाजार में उतार-चढ़ाव लाने में सक्षम है। साल 2023 में अब तक 3.4 अरब डॉलर की शुद्ध खरीद के साथ भारतीय बॉन्ड्स में विदेशी निवेशकों की खरीदारी सुस्त बनी हुई है। बकाया सरकारी ऋण के 2% से भी कम के लिए विदेशी निवेशक जिम्मेदार हैं।

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