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अगले वित्त वर्ष में बैंकों के मार्जिन पर रहेगा जबाव, Fitch Ratings ने बताई ये वजहें

अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों के लिए नेट इंटेरेस्ट मार्जिन (NIM) के मोर्चे पर दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वैश्विक रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings के मुताबिक हाई लोन ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए बैंकों ने जमा दरों में बढ़ोतरी की है जिसके चलते अगले वित्त वर्ष में बैंकों के एनआईएम पर दबाव दिखेगा। फिच रेटिंग्स का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय बैंकिंग सेक्टर का एनएआईएम 0.10 फीसदी गिरकर 3.45 फीसदी रह जाएगा

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Feb 06, 2023 पर 2:16 PM
अगले वित्त वर्ष में बैंकों के मार्जिन पर रहेगा जबाव, Fitch Ratings ने बताई ये वजहें
फिच रेटिंग्स के मुताबिक अगर बैंकों को आगे भी डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी के लिए बाध्य होना पड़ा और होलसेल फंडिंग करते हैं जिसकी लागत बढ़ रही है तो इसके एनआईएम पर अधिक दबाव दिख सकता है। ब्याज की दरें बढ़ने पर अगर उसी हिसाब से क्रेडिड डिमांड नहीं बढ़ती है और डिपॉजिट नहीं बढ़ता है तो एनआईएम को लेकर रिस्क है।

अगले वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों के लिए नेट इंटेरेस्ट मार्जिन (NIM) के मोर्चे पर दिक्कतें बढ़ सकती हैं। वैश्विक रेटिंग एजेंसी Fitch Ratings के मुताबिक हाई लोन ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए बैंकों ने जमा दरों में बढ़ोतरी की है जिसके चलते अगले वित्त वर्ष में बैंकों के एनआईएम पर दबाव दिखेगा। फिच रेटिंग्स का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय बैंकिंग सेक्टर का एनएआईएम 0.10 फीसदी गिरकर 3.45 फीसदी रह जाएगा। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में यह 0.15 फीसदी बढ़कर 3.55 फीसदी पर पहुंच जाएगा। वित्त वर्ष 2017-2022 का औसत 3.1 फीसदी रहा है। हालांकि रेटिंग एजेंसी के इस अनुमान में एक रिस्क यह है कि डिपॉजिट ग्रोथ के मुकाबले अगर लोन की ग्रोथ अधिक रहती है तो एनआईएम मजबूत रह सकती है।

किन बातों से दिखेगा NIM पर दबाव

फिच रेटिंग्स के मुताबिक अगर बैंकों को आगे भी डिपॉजिट रेट्स में बढ़ोतरी के लिए बाध्य होना पड़ा और होलसेल फंडिंग करते हैं जिसकी लागत बढ़ रही है तो इसके एनआईएम पर अधिक दबाव दिख सकता है। ब्याज की दरें बढ़ने पर अगर उसी हिसाब से क्रेडिड डिमांड नहीं बढ़ती है और डिपॉजिट नहीं बढ़ता है तो एनआईएम को लेकर रिस्क है। वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर 2022 में बैंकिंग सेक्टर की औसतन लोन ग्रोथ 17.5 फीसदी पर पहुंच गई और यह रुझान अक्टूबर-दिसंबर 2022 में भी जारी रही। हालांकि पूरे वित्त वर्ष 2023 के लिए यह अनुमान 13 फीसदी है। एनआईएम की बात करें तो अप्रैल-दिसंबर 2022 में यह 3.5 फीसदी की दर से बढ़ा।

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