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2020 से 2030 के दशक में भी जारी रह सकती है मंदी, वर्ल्ड बैंक ने दी चेतावनी- सुस्त ग्रोथ रेट के कारण 2020-30 होगा 'Lost Decade'

वर्ल्ड बैंक की की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक EMDEs में चल रही मंदी का दौर 2020 से 2030 के दशक में भी जारी रह सकता है और यदि इसने अपनी चपेट में विकसित अर्थव्यवस्थाओं को भी ले लिया, तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है

Bhuwan Bhaskarअपडेटेड Mar 31, 2023 पर 7:00 AM
2020 से 2030 के दशक में भी जारी रह सकती है मंदी, वर्ल्ड बैंक ने दी चेतावनी- सुस्त ग्रोथ रेट के कारण 2020-30 होगा 'Lost Decade'
यदि दुनिया की सभी सरकारें इस दुश्चक्र से निकलना चाहती हैं, तो उन्हें मिलकर नीतिगत स्तर पर प्रयास करने होंगे

कोरोना महामारी के आने के साथ 2020 के दशक ने पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियों को अभूतपूर्व झटका दिया। लेकिन जिस तेजी से दुनिया के भर के केंद्रीय बैंकों ने आम लोगों से लेकर उद्योग जगत तक को राहत पहुंचाने के लिए अपनी तिजोरी खोली, उससे 2022 आते-आते ऐसा लगने लगा कि बुरा दौर पीछे छूट गया है और दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट गई है। भारत के नेतृत्व में अमेरिका, यूरोप और यहां तक कि कई अफ्रीकी देशों ने भी कोविड से पहले की वृद्धि दर के करीब पहुंचना शुरू कर दिया था।

लेकिन तभी 2020-21 के दौरान हुई क्वांटिटेटिव ईजिंग (सेंट्रल बैंकों द्वारा आसान दरों व शर्तों पर बाजार में पूंजी उपलब्ध कराना) और 2022 की शुरुआत में यूक्रेन पर रूस के हमले के असर से अमेरिका और यूरोप के कई देशों में महंगाई दर ने दशकों का अपना उच्चतम स्तर तोड़ना शुरू कर दिया। भारत में भी महंगाई रिजर्व बैंक के कम्फर्ट रेंज से ऊपर गई और फिर फेडरल बैंक की अगुवाई में पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की। ब्याज दरों का बढ़ना मतलब ग्रोथ पर लगाम।

पिछले करीब 3 साल की इस कहानी के बाद, अब पूरी दुनिया के नीति निर्माताओं, उद्योगों और अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि ग्रोथ का सामान्य दौर वापस कब लौटेगा। विश्व बैंक की हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की गई है। यह रिपोर्ट 2015 में किए गए एक अध्ययन का अगला चरण है, जिसमें 2010-15 के दौरान इमर्जिंग मार्केट्स एंड डेवलपिंग इकोनॉमीज (EMDEs) में व्याप्त मंदी के कारणों की छानबीन की गई थी। इस स्टडी का यह निष्कर्ष था कि ये अर्थव्यवस्थाएं कमजोरी के एक दीर्घकालिक दुश्चक्र में फंस चुकी हैं। हालांकि इस अध्ययन का निष्कर्ष यह भी था कि इन अर्थव्यवस्थाओं में जो मंदी चल रही है, उसका एक कारण साइक्लिकल है और उसे सही नीतिगत हस्तक्षेप से ठीक किया जा सकता है।

अब ताजा रिपोर्ट के मुताबिक EMDEs में चल रही मंदी का दौर 2020 से 2030 के दशक में भी जारी रह सकता है और यदि इसने अपनी चपेट में विकसित अर्थव्यवस्थाओं को भी ले लिया, तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है। “फॉलिंग लॉन्ग टर्म ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट्स: ट्रेंड्स, एक्सपेक्टेशंस एंड पॉलिसीज” (दीर्घकालिक ग्रोथ के कम होते अवसर: रुझान, अपेक्षाएं और नीतियां) के संपादकों एम. आइहान कोजे और फ्रांजिस्का ऑनसोर्ज के मुताबिक, “पिछले दो दशकों के अनुभव ने बताया है कि वित्तीय संकट और मंदी ग्रोथ को दूरगामी चोट पहुंचाते हैं; यह ग्रोथ के लिए आवश्यक मुख्य कारकों में पहले से ही मौजूद कमजोरी को तेज गति से और बढ़ाते हैं।

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